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Supreme Knowledge

राधास्वामी पंथ वाले लोगों को गुमराह कर रहे हैं और इन्हें वेदों का कुछ भी ज्ञान नहीं है

संत का काम होता है कुरीतियों को खत्म करना भांग तमाखू मांस न खाना शराब न पीना, जबकि राधा स्वामी पंथ वाले कहते हैं की सख्त जरूरत पड़ने पर शराब मांस का सेवन कर सकते हैं। और शिवदयाल जी तो खुद ही हुक्का पीते थे 
क्या ये संत के लक्षण हो सकते हैं?

कबीर साहेब कहते हैं

भांग तमाखू छूतरा आफू और सराब 
कहे कबीर कैसे करे बंदगी ये तो करे खराब

राधास्वामी पंथ बालों को नहीं है पूर्ण परमात्मा की वास्तविक जानकारी 

राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी के कोई गुरु नहीं थे

प्रमाण - पुस्तक जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज के पृष्ठ नंबर 27 पर लिखा है कि शिव दयाल जी का कोई गुरु नहीं था
विचार कीजिए बिना गुरु के मोक्ष कैसे संभव हो सकता है।

कबीर_ गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान गुरु विन दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण

कबीर साहिब की वाणी से स्पष्ट है कि बिना गुरु के मोक्ष संभव नहीं है

शिवदयाल जी नहीं थे सतगुरु

गुरुनानक जी ने अपनी वाणी में खुद कहा है

"सोई गुरु पूरा कहावे जो दो अख्कर का भेद बताये।
एक छुड़ावै एक लखावै तो प्राणी निज घर को जावे।"

और राधास्वामी पंथ में पाँच नाम दिए जाते हैं।

और  तो और 

राधास्वामी पंथ वाले कहते हैं कि परमात्मा निराकार है और सतलोक में आत्मा निराकार परमात्मा में ऐसे लीन हो जाती है जैसे बूंद समुद्र में विचार करे कोई समुद्र में डूब कर मर सकता है।

और रही बात भगवान निराकार की जबकि वेदों में स्पष्ट लिखा है की पूर्ण परमात्मा साकार है नर आकार है शय शरीर है उसका नाम कबीर है।

इससे स्पष्ट होता है कि राधास्वामी पंथ वाले लोगों को गुमराह कर रहे हैं और इन्हें वेदों का कुछ भी ज्ञान नहीं है

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