राधास्वामी पंथ के किसी भी गुरु को सच्चा ज्ञान नही।

Supreme Knowledge

राधास्वामी पंथ के किसी भी गुरु को सच्चा ज्ञान नही।

क्योंकि उनमें से किसी को भी ये मालूम नही की सतनाम क्या है ?

जैसे :- "सन्तमत प्रकाश भाग-3" में सावन सिंह जी के सत्संग वचन है।

इस पुस्तक के पृष्ठ 76 पर लिखा है कि सतनाम या सच्चखण्ड चौथा लोक है।

फिर पृष्ठ 79 पर चार राम का विवरण करते हुए बताया है कि :- "एक राम दशरथ का बेटा, दूसरा राम मन, तीसरा राम ब्रह्म, चौथा राम सतनाम है, यही असली राम है।"

"सार वचन वार्तिक" नामक पुस्तक (भाग-1) जिसमे शिवदयाल जी के वचनों का संग्रह है।

1. इस पुस्तक के पृष्ठ 3 वचन स. 4 में लिखा है कि "अब समझना चाहिए कि राधास्वामी पद सबसे ऊंचा मुकाम है और यही नाम कुल मालिक और सच्चे साहिब और सच्चे खुदा का है और इस मुकाम से दो मुकाम नीचे सतनाम का मुकाम है जिसे सन्तो ने सतलोक और सच्चखण्ड और सारनाम और सतनाम और सतपुरुष करके बयान किया है।

2. पृष्ठ 5 वचन स. 7 में पांच नाम जाप के दिये है जिनमे ज्योति निरंजन, ओंकार, ररंकार, सोहं और सतनाम दिए है।
इसमे सतनाम जाप का मन्त्र दे रखा है।

अब इन बातों से आप समझ सकते हो कि इन महापुरुषों में कितना ज्ञान था।

कही सतनाम को बोल रहे है सतनाम या सच्चखण्ड एक ही है, कही बोल रहे है यही चौथा राम है, कही बोल रहे है कि सतनाम ही सच्चे मालिक का नाम है और कही कह रहे है कि यही सच्चखण्ड, सतलोक, सारनाम और सतलोक है।
इससे तो वही कहावत सिद्ध हो गयी कि "कही की ईंट कही का रौड़ा"

अब कुछ खास बताते है।

राधास्वामी पंथ की पुस्तक "सन्तमत प्रकाश भाग-4" पृष्ठ 261-62 पर नानक जी की और कबीर जी की वाणी का प्रमाण देकर कहा है कि :-

"सोई गुरु पूरा कहावै जो दो अखर का भेद बतावै।
एक छुड़ावै एक लखावै, तब प्राणी निज घर जावै।।"
"जै तू पढ़या पंडित बिन दोय अक्षर बिन दोय नावां।"

कबीर जी की वाणी :- कह कबीर अक्षर दुय भाख। होयगा खसम त लेयगा राख।।

वास्तविक सतनाम का मन्त्र 2 अक्षरों का जो ये वाणिया सिद्ध कर रही है जो इन राधास्वामी वालो को पता नही है।
इसलिए कोरा अज्ञान जनता को प्रदान कर दिया और अब भूत बने फिर रहे है।
अब आप ज्ञान को समझिए और इन नकलियो से अपना छुड़वाईये।